हैलो दोस्तों आज में आपको बताने वाला हूं एक ऐसे मंदिर के बारे में जिसने विज्ञान को ही मात दी है। इस मंदिर में सात परिक्रमा देने पर लकवाग्रस्त रोगी पूर्णतया तैयार हो जाता है यह पुरी घटना मेरी आँखों के सामने घटने के बाद यह पोस्ट मैंने लिखी है। इसके बारे में और भी विस्तार से आपको जानना है तो आप निचे कोमेंट करके पुछ सकते हो। जब मरीज डॉक्टर से भी तैयार नहीं होता है। तो वो भी मरीज को एक बार इस मंदिर में जाने को बोलते हैं दोस्तों मेरी इस Paralysis से मुक्ति मात्र सात दिनों post को ध्यान से पढना और अपने दोस्तों परिवार और रिश्तेदारों के साथ शेयर जरूर करना. पोस्ट को अंत तक जरुर पढें।
यह भी पढें - KYC का क्या मतलब होता है और यह क्यों जरुरी है
- सूर्य सबसे पहले किस देश में उगता है आलंपिक गोल्ड मेडल में सोना कितना होता है
- FACEBOOK POKE KYA Hota hai एक दुसरे को POKED YOU क्यों करते हैं
राजस्थान का नाम शायद ही नहीं सुना होगा, आपने तो आज में परिचय करवा देता हूं कि राजस्थान भारत ( India ) देश का एक राज्य है. राजस्थान की सीमा एक तरफ pakistan से भी लगती है हरियाणा पंजाब दिल्ली गुजरात यह भी पङोसी राज्य है. राजस्थान शान्तिप्रिय राज्य है और इसमें 33 जिले है|इन जिलों में एक जिले का नाम है. नागौर और यह राजस्थान के दिल के नाम से प्रसिद्ध भी है. क्योंकि यह राजस्थान के बीचोंबीच पङता है इसके पड़ोसी जिले अजमेर सीकर पाली जोधपुर जयपुर चुरु यह जिले है.
नागौर से 40 km दूर अजमेर रोड पर कुचेरा गांव से आगे बुटाटी गांव है. इसी गांव में यह मंदिर बाबा श्री चतूरदासजी महाराज के नाम से जाना जाता है. और यहां लकवा (पैरालिसिस) के जो मरीज आते हैं वो आते अपनो के सहारे है लेकिन जाते खुद के सहारे, लकवे के मरीजों का यहां 100% इलाज होता है. यहाँ आपको सात दिनों के लिए रूखना जरूरी है मरीज को सुबह - शाम मंदिर में परिक्रमा लगानी रहती है सुबह शाम आरती होती है. उस टाईम मरीज को हवन कुंड की भभूति लगानी चाहिए.
लकवा रोगी के साथ दो परिजन साथ रहे सकते हैं. यहाँ रहना खाना सब नि:शुल्क होता है. आपको पहले दिन से ही सोने के लिये, अलग कमरा बिस्तर खाना बनाने के लिए आटा दाल और सब बर्तन यहां आपको फ्री मिलेंगे आप सात दिन यहां रहेगें तो ही पुरा फायदा मिलेगा क्योंकि सुबह शाम मंदिर में परिक्रमा और हवनकुंड लेने से ही रोगी को फायदा होता है. और आपको कुछ मालिश करने के लिये तेल मंदिर से आपको दिए जायेंगे वो तेल मरीज को डेली दिन में दो या तीन बार मालिश करना रहेगा और बाबा श्री चतुरदासजी महाराज का नाम लेते रहना चाहिए.
आपके काम की पोस्ट जरूर पढें - महिलाओं के लिए लोगों की ऐसी सोच क्यों?
- अपने एंड्रॉयड फोन को सुपरफास्ट कैसे करें
सात दिनों तक परिक्रमा हवन कुंड भभुती लगाने से लकवा ग्रस्त रोगी के धीरे धीरे हाथ और पैर हीलना चालू हो जायेगें लकवा के मरीजों को डॉक्टर भी यहां भेजते हैं. लेकिन आपको मंदिर के नियम पुरी तरह से मानना होगा तो ही फर्क पड़ता है.
यह विडियो बुटाटी धाम का है
दोस्तों यह बात बिल्कुल सत्य है अगर आपके भी किसी जान पहचान या रिश्तेदार में कोई लकवा ग्रस्त है. तो एक बार जरूर बुटाटीधाम पर लेकर आऐ आपको कुछ भी साथ में लेकर नहीं आना है. मंदिर ट्रस्ट द्वारा सब सुविधा उपलब्ध करवा दी जाती है. अगर आपको फायदा हुवा तो आपकी इच्छा अनुसार भेंट या दान कर सकते हैं.
इस मंदिर मे बिमारी का इलाज ना तो कोई पंडित करता है और ना कोई वैद या हकिम यहाँ चलती है तो केवल और केवल मंदिर के परिक्रमा और हवन कुंड भभुति लगाने से होता है इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि जब भी किसी को लकवा हो जाए तो वो तीन चार दिन में वहां पहुंच जाता है तो उसका इलाज बहुत जल्दी होता है।
Read more post-Media.Net Amazon Affiliate india se online paisa kaise kamaye
केसे होता है चमत्कार :>>कहते हैं 500साल पहले यहां एक संत बाबा चतुरदास के नाम से हुवा करता था. उन्होंने रोगों के मुक्त के लिये यज्ञ किया और तपस्या की और बाद में यहां समाध ले ली तब से बाबा श्री चतुरदास जी महाराज के समाधि स्थल के परिक्रमा लगाने से लकवा ग्रस्त रोगी पुरी तरह तैयार हो जाते हैं.
दोस्तों यह पोस्ट मेनें वहां मेरी आंखों के सामने देखने के बाद किया है लकवे (पैरालिसिस ) पुरी तरह से निवारण होता है. अगर किसी को लकवा होने के 4-5 दिनों में पहली वहां चले जाने पर इलाज बहुत जल्दी हो जाता है. राजस्थान से बहार से आने वाले लोगों के लिए भी ट्रेन का बहुत अच्छा साधन है. जोधपुर और जयपुर के बीच मेङता से15 किलोमीटर दूर रेण गांव का स्टेशन पडता है जो बुटाटीधाम से 20 किलोमीटर दूर है.
'' कर भला तो हो भला ''
अगर आपको मेरी पोस्ट से कुछ फायदा हुआ है तो प्लीज मेरी पोस्ट को Facebook whatsapp twitter instagram YouTube etc par शेयर जरूर करना.
No comments:
Post a Comment