रेगिस्तानी इलाकों में और खासकर जहां बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है उस जगह यह सवारी ढोने के काम बहुत आते हैं भारत में ऊंटों की संख्या लगातार घट रही हैं विश्व के 2.4 प्रतिशत ऊंट पाले जाते हैं पूरे हिन्दुस्थान में यहां चार लाख ऊंटों में सबसे ज्यादा 50 प्रतिशत अकेले राजस्थान राज्य में पाले जाते है बाकी पंजाब, हरियाणा, गुजरात, यूपी, और मध्यप्रदेश में पाले जाते हैं भारत में एक कुबड़ वाला और अरब देशों में दो कुबड़ वाला ऊंट पाया जाता हैं आइए अब जानते है की किस कारण से ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता हैं
ऊंट रेगिस्तान का एक अति महत्वूर्ण एवं उपयोगी पशु है। ऊंट के पैर गद्दीदार होने के कारण रेतीली टीबो में नहीं धसतें है और वो तेज गति से रेगिस्तान में आसानी से दौड़ सकते है। पेड़ों के पते और झाड़ियों को खाकर अपना पेट भर लेता है। मलमूत्र गाढ़ा व चमड़ी मोटी होने के कारण पसीना कम आने से ऊंट को जल की आवश्यकता बहुत कम होती हैं जिसे वो 50 डिग्री तापमान में भी 8-10 दिनों तक बिना पानी पिए आसानी से रहे सकता है इसलिए गरम व शुष्क भागों में ऊंटों को आसानी से पाला जा सकता है यह भारी बोझ ढो सकता है और एक दिन में 45-50 किलोमीटर दूर तक चल सकता है।
ऊंट ( camel ) के होठ मोटे और लम्बे होते हैं। जिससे वह रेगिस्तान में पाए जाने वाले कांटेदार पौधे भी आसानी से खा पाता है। और इसकी लंबी गर्दन की वजह से वो ऊंचे पेड़ों की पत्तियों को भी खा पाता है। इसके पेट और घुटनों पर रबर जैसी त्वचा होती है जिससे वह बैठते समय रेत के संपर्क में आने पर भी इसका बचाव हो सके। यह त्वचा ऊंट के उम्र 5 -6 वर्ष का होने के बाद बनती है।
ऊंट के शरीर के रंग की वजह से भी इसे रेगिस्तान के मौसम में रहने में आसानी होती है। इसके शरीर पर बालों की एक मोटी परत होती है जिससे यह धूप सह लेता है अरब देशों और खासकर जहां रेतीली जगह ज्यादा है वहां ऊंट ज्यादा पाले जाते हैं।
रेगिस्तान में ऊंट की उपयोगिता के कारण ही सैनिक टुकड़ियां सवारी व बोझा ढोने के लिए ऊंट का उपयोग करते हैं। ऊंटों में वर्षों बाद भी मार्ग याद रखने की अदभुत क्षमता होती है रेतीले मरुस्थल में परिवहन के साधन के रूप में ऊंट का कोई विकल्प नहीं है इसलिए ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता हैं।
ऊंट सवारी करने के अतिरक्त खेतों में हल जोतने, बोझा ढोने, कुवों से पानी निका लने सिंचाई करने, गाड़ी खींचने, बहुत सारे काम में ऊंटों को उपयोग में लाया जाता हैं ऊंट के बालों से रस्सियां, कम्बल, दरिया, व चमड़े से काठी, थैले, तेल रखने की कुपिया और जूतियां बनाई जाती हैं। इसका दूध बहुत आयुर्वेद दवाइयां बनाने में काम आता है और पीने के काम भी बहुत आता है तो दोस्तों यह रेगिस्तान का जहाज किसे कहा जाता है सारी जानकारी अगर आपको मेरी post अच्छी लगी हो तो आप इसे share करें
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